Saturday 9 April 2011

अन्ना की जीत, हमारी जीत, प्रजातंत्र की जीत

आज बड़ी ही ख़ुशी का दिन है. जश्न मौसम है और मौका भी . आज मैं सोच रहा था की अपनी ख़ुशी को कैसे सबके साथ बांटू और फिर ऐसा महसूस हुआ की सिर्फ एक ही तरीका है और वो है ब्लॉग लिखने का .

ब्लॉग भी कितनी अच्छी चीज़ है न अपने दिल की सारे बातें कितने ही लोगों के साथ बाटने का एक बड़ा ही सुगम तरीका है . कितने ही लोग आपसे अनजाने में जुड़ जाते हैं और न जाने कितने ही आपके विचारों से परिचित हो जाते हैं .

आज आपको अपने दिल की बात कहने के लिए एक दोस्त ढूँढने की ज़रुरत नहीं है बस १० मिनट का टाइम निकलने की जरुरत है और एक छोटा सा ब्लॉग लिखने की ज़रूरत है .

मैं जानता हूँ की आप ये सोच रहे हैं की बड़ी जल्दी ही मैं अपनी सोच से भटक जाता हूँ और कहीं और की बातें करने लगता हूँ, पर ऐसा नहीं है जनाब हम अपने विषय पर भी घूम कर आते हैं जी .

हाँ तो मैं कह रहा था की एक दिन मुझे एक ई-मेल मिला जिसमे 'जन लोकपाल कानून के मसौदे' का लिंक था तथा लिखा था की मैं भी इस को पढूं और अपनी राय दूं और लाल किला जा के इसको अपना समर्थन दूं . मैंने भी सिर्फ जानकारी हेतु इस लिंक को खोला और मसौदा पढ़ा और मुझे बड़ा ही अच्छा लगा की कोई तो है जो इस अच्छे काम को जन जन तक पहुचने का प्रयास कर रहा है . मैंने भी उस ई - मेल को कई लोगों को फॉरवर्ड कर दिया .

फिर कई दिन बाद अचानक एक दिन खबर आई की अन्ना हजारे, जो की एक गाँधीवादी समाजसेवक हैं, वो इस कानून की मांग को ले के जीवनपर्यंत भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. मैंने सोचा की जब एक ८० साल का वृद्ध व्यक्ति, जिसकी उम्र भी अब ज्यादा नहीं बची है, जब वो इस कानून को ले के इतना संवेदनशील हो सकता है तो हम क्यों नहीं? क्या इस देश के प्रति हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती? और बस यही सोच कर जा पहुचे जंतर मंतर पर उनका समर्थन करने और वहां मौजूद लोगों का उत्साह देख कर तो मन गदगद हो गया . और आज जब अन्ना जैसे कमज़ोर व्यक्ति के आगे इतनी शक्तिशाली सरकार ने घुटने टेक दी तो मन उल्लास से भर उठा और झूमने लगा क्योंकि ये जीत सिर्फ अन्ना की ही नहीं थी, ये जीत हमारी और आपकी भी थी, ये जीत हर उस किसान की थी जो अपने खेत में मन लगा के काम करता है, हर उस मजदूर की थी जो दिन में शरीर की आखिरी ताकत तक काम करता है, हर उस आम आदमी की है जो इस देश की प्रगति के लिए दिन रात काम करता है . सही मायनो में ये जीत प्रजातंत्र की है .